ज़्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने के नुक़सानात
आजकल हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहा है। इतने में स्मार्टफोन का उपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार 2022 तक सिर्फ भारत में ही 900 मिलियन यानी 90 करोड़ लोग स्मार्टफोन यूजर्स होंगे जबकि भारत की कुल आबादी 136 करोड़ है। लोग इन छोटे डिवाइस की मदद से एक दूसरे के साथ कनेक्ट और अपडेट रहते हैं। यहां तक कि स्मार्टफोन मनोरंजन का भी एक अच्छा माध्यम बन गया है।
मोबाइल से होते है ये काम
- इससे शॉपिंग, मूवी टिकट, फ्लाइट टिकट, पढ़ने इत्यादि सभी चीजों को ट्रैक करने के लिए जो किया जा रहा है। इतने सारे काम मिनटों में निपटाने के कारण स्मार्टफोन ने पुस्तक अलार्म घड़ियों कैमरे और नॉट पैड्स को बदल दिया है। हर घर में जितने लोग नहीं हैं उससे ज्यादा तो स्मार्टफोन्स हैं। आजकल स्मार्टफोन के बिना लाइफ अधूरी सी है। यह एक जरूरत के साथ आदत बन गया है।
मोबाइल के नुक़सानात
- यदि स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने के कई फायदे हैं तो जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल करने के बहुत सारे नुकसान भी हैं। तो आइए जानते हैं कि अगर आप जरूरत से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपको कौन कौन से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
स्मार्टफोन से निकलने वाली ब्लू लाइट से आँखों में Cataract जैसी बीमारी हो सकती है
- लंबे समय तक आंखों पर इतनी तेज लाइट पड़ने से आंखों की रेटिना धीरे धीरे डैमेज यानी खत्म होने लगती है जिससे आंखों के कई तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं जैसे धुंधला दिखाई देना आंखों के नीचे काले घेरे या डार्क सर्कल बनना आखों में रेडनेस यानी आंखों का हमेशा लाल रहना आंखों से बार बार पानी आना और हर समय आंखों में थकान और सूजन रहना। ये सभी प्रॉब्लम्स आपको फेस करने पड़ सकती हैं। अगर आप ज्यादा लंबे समय तक स्मार्टफोन की तेज लाइट में बिजी रहते।
नोमोफोबिया जैसी बीमारी
- क्या आपने फोबिया के बारे में जानते हैं मोबाइल फोन खो जाने या फिर सिग्नल नहीं होने पर जो आपको डर रहता है कि अब क्या होगा अब क्या करेंगे यही है नोमोफोबिया कम समय के लिए ही सही परंतु मोबाइल फोन खोने का अनुभव अधिकतर सभी को होता है। बिना फोन के हर कोई खुद को अधूरा महसूस करता है।
हड्डियों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणों का प्रभाव
- ज्यादातर लोगों को आदत होती है कि वो अपना मोबाइल फोन अपने जेब में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इसी तरह से रखने से आपकी हड्डियों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरणों का सीधा प्रभाव पड़ता है जिससे आपकी हड्डियों में मिनरल्स कोड की कमी के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
देर रात तक मोबाइल देखने से नुक़सान
- देर रात तक मोबाइल फोन का यूज करने से ब्रेन तक सिग्नल ले जाने वाली ऑप्टिक नाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे काला मोतिया की प्रॉब्लम हो सकती है। हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से एक चक्कर का पालन करता है जो हमें दिन के दौरान जागते रहने और सतर्क रहने की अनुमति देता है और रात में आवश्यक विश्राम करने में हमारी मदद करता है।
- रात में हमारा दिमाग मेलाटोनिन नाम का एक हार्मोन्स रिलीज करता है जिससे हमारे शरीर को सोने का संकेत मिलता है। परंतु तभी हम अपने हाथ में मोबाइल फोन रखकर फेसबुक, इंस्टाग्राम, मूवी देखना गाने सुनना इत्यादि में अपने ब्रेन को बिजी कर देते हैं जिससे हमारा दिमाग मेलाटोनिन हार्मोन को अच्छी तरह से रिलीज नहीं कर पाता और हमें नींद नहीं आती।
- इससे हम अगली सुबह देरी से उठते हैं और थकान सी फील करते हैं। ऐसा नींद ना पूरी होने से होता है। हमारा किसी भी काम में मन नहीं लगता और हमारा दिमाग भी सही तरह से काम नहीं करता।
लंबे समय तक फोन का यूज करने से दिमाग थक जाता है
- जिससे स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसे रोग हो जाते हैं। देर रात तक जागने से भोजन अच्छी तरह से हजम नहीं हो पाता। जैसे कब्ज, डायबिटीज, खून की कमी आदि जैसी बीमारियां हो सकती हैं। घंटों तक गर्दन झुकाए फोन में बिजी रहने से गर्दन में दर्द की प्रॉब्लम हो सकती है और ये प्रॉब्लम धीरे धीरे बहुत बड़ी मुसीबत बन सकती है।
मोबाइल फोन के इस्तेमाल से एक्सीडेंट
- एक रिसर्च में पाया गया है कि दुनिया में ज्यादातर एक्सीडेंट होने की वजह ड्राइविंग करते वक्त मोबाइल फोन पर बात करना है। फिर चाहे वह बाइक हो या फिर गाडिय़ां। अक्सर लोग जब ड्राइविंग करते हैं तो कान में फोन लगाकर इतने बिजी हो जाते हैं कि उन्हें याद ही नहीं रहता कि वो ड्राइविंग कर रहे हैं और ध्यान भटकने की वजह से किसी दूसरे से टकरा जाते हैं। वर्ल्ड में 21 परसेंट लोग ड्राइविंग करते समय फोन पर बात करने से होते हैं।
मोबाइल फोन में होते है बैक्टीरिया
- एक रिसर्च में सामने आया है कि स्मार्टफोन में टॉयलेट सीट से लगभग 10 गुना अधिक बैक्टीरिया होते हैं जिसे हम आंखों से नहीं देख सकते लेकिन माइक्रो टेलिस्कोप से इन्हें आसानी से देखा जा सकता है।
- अब जरा सोचिए अब खाना खाते समय मोबाइल को कितनी बार छेड़ते हैं और कितने बैक्टीरिया आपके हाथों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं।
मोबाइल से इंसान आइसोलेट हो गया है
- यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि स्मार्टफोन ने इंसान को आइसोलेट मतलब की एक जगह से बांध कर रख दिया है। आजकल लोग किसी को मिलने के बजाए सोशल मीडिया पर ही विडियो कॉल कर।लेते हैं और बच्चों की अगर बात की जाए तो वह बाहर जाकर कोई वीडियो गेम जैसे क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेलने के बजाय अपने फोन में ही PUBG जैसे गेम खेलना पसंद करते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास रुक जाता है जिससे वो शारीरिक और मानसिक रोगों का शिकार हो जाते हैं। ये उनके फ्यूचर के लिए बहुत ही।
मोबाइल फोन का सबसे बड़ा खतरा रेडिएशन है
- अगर आपको नहीं पता कि मोबाइल रेडिएशन क्या है तो बताने के जब हम अपने मोबाइल से किसी को फोन लगाते हैं तो मोबाइल से जो भी कितने मोबाइल टावर तक जाती हैं उसे ही रेडिएशन कहते हैं जिससे हमारे शरीर पर सीधा असर पड़ता है।
तो आइए डिटेल में रेडिएशन के बारे में जानते हैं।
- डब्ल्यूएचओ यानी गोल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन में एक शोध के अनुसार दुनिया के 31 वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया गया। इस रिचर्स में 14 देश शामिल थे। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने रेडिएशन के होने वाले नुकसान बताए जिससे कई देशों की सरकार ने देश में का मोबाइल टावर नियम लागू कर दिया।
- इस शोध में देखा गया है कि कैंसर की प्रॉब्लम उन लोगों को आती है जो ज्यादा समय तक मोबाइल फोन पर बात करने या सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। रेडिएशन हमारे ब्रेन में धीरे धीरे ट्यूमर पैदा कर देता है जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का रूप धारण कर लेता है।
मोबाइल रेडिएशन से दो तरह के कैंसर होते हैं
- उंगलियों में और एक्स टेक्नीक रिसर्च में सामने आया है कि कई बार तो मोबाइल रेडिएशन से डीएनए तक डैमेज हो सकता है फिर चाहे वो इंसान का डीएनए हो या फिर पक्षियों का। इसका पुख्ता प्रमाण हम देख सकते हैं कि पहले ब्लैक बर्ड्स मतलब काली चिड़ियां जिन्हें देसी चिड़िया भी कहते थे वे सब इस फोन रेडिएशन के ज्यादा फ्रीक्वेंसी होने के कारण खत्म हो चुकी हैं और स्मार्टफोन के आने के बाद कैंसर पेशंट्स में भी बढ़ोतरी हुई है।
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